नये कृषि कानून में क्या गलत है? क्या इसका विरोध केवल राजनीतिक है?
नये कृषि कानून में क्या गलत है? क्या इसका विरोध केवल राजनीतिक है? सरकार कह रही है कि नये कृषि कानून से वे बेड़ियाँ टूटेंगीं जिसने खेती को जकड़ रखा है, बड़े पैमाने पर पूंजी और तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। इस कानून से कृषि को corporate रूप देने का रास्ता साफ होता है। आप कहेंगे कि इसमें गलत क्या है? आखिर किसान क्यों विरोध कर रहा है? क्योंकि उसके अनुभव दुखद रहे हैं। गुजरात में Pepsico ने आलू उत्पादक किसानों के साथ अनुबंध किया। इसके अनुसार आलू उत्पादक किसानों की फसल Pepsico एक तय कीमत पर एक तय समय पर खरीदने वाली थी। चार उत्पादकों के आलू को Pepsico ने यह कह कर नहीं खरीदा कि quality अच्छी नहीं है। अब उन किसानों ने अपनी फसल बाहर बाजार में बेच दी। इसमें किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए थी। लेकिन Pepsico ने इसे अनुबंध की शर्तों का उल्लंघन बता कर उन किसानों पर एक-एक करोड़ के हर्जाने का मुकदमा ठोक दिया। गनीमत थी कि उस समय गुजरात विधानसभा के चुनाव निकट थे और सरकारी हस्तक्षेप के बाद मुकदमा वापस ले लिया गया। गन्ना किसानों और मिल मालिकों के बीच भी अनुबंध ही होता है। इसके अनुसार मिल मालिक एक तय स